Tum Prem Ho |Radha Krishna Serial Lyrics|Mohit lalwani
तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो
मेरी बांसुरी, का गीत हो
तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो
मनमीत हो राधे, मेरी मनमीत हो
तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो
मनमीत हो राधे, मेरी मनमीत हो
तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो
मेरी बांसुरी, का गीत हो
पर्मात्माका श्पर्श हो राधे.. (2ं)
पुल्क्रीत् ह्रीदयका हर्श हो
तुम्हो समर्पण का शीखर्
तुम ही मेरा उत्कर्श हो
तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो
मेरी भावना की तुम राधे ! जीत हो
हु मैं यहाँ तुम हो वहा राधा,
तुम बिन नही है कुछ यहाँ,
मुझमे धडकती हो तुम्ही तुम दूर मुझसे हो कहा,
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो ……
तुम ह्रदय में, प्राण में..कान्हा
तुम ह्रदय में, प्राण में
निसदिन तुम्हीं हो ध्यान में..
तुम ह्रदय में, प्राण में
निसदिन तुम्हीं हो ध्यान में..
हर रोम में तुम हो बसे
हर रोम में तुम हो बसे
तुम विश्वास के आह्वान में
तुम प्रेम हो.. तुम प्रीत हो..
तुम गीत हो..काहना
मेरे मनमीत हो
राधा कृष्णा..कृष्णा
कृष्णा राधा..कृष्णा